सुपर कॉरिडोर: जमीन को लेकर किसानों से खत्म रार, 00 से 99% करार...

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 इंदौर, आइडीए के महत्ताकांध्री प्रोजेक्ट सुपर कौरिडोर पर किसानों से लंबे समय से चल रही रार लगभग खत्म हो गई है। मोहित पांचाल


पायलट प्रोजेक्ट बनाकर पहले चरण में दो अहम योजनाओं पर काम किया गया, जिसमें 99 फीसदी किसानों से करार हो गया है। हर


रजिस्ट्री के बाद उन्हें प्लॉट का कब्जा भी दिया गया। दूसरे चरण में दो अन्य योजनाओं को लिया जा रहा है। तीन माह में फ्व (0६8, 00


निराकरण का लक्ष्य रखा गया है।


दो दशक पहले आइडीए ने सुपर कॉरिडोर की नींव रखी थी। योजना बनाते समय 553 हेक्टेयर जमीन शामिल की धी, लेकिन 39 हेक्टेयर पर डायवर्शन व नक्शा पास होने की वजह से छोड़नी पड़ी।

44 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण शुरू किया तो विवाद की स्थिति बनी। समय के साथ किसान सहमति देते गए, फिर भी 50 फीसदी जमीन का निराकरण ही हो सका। इससे विकास कार्य नहीं हो पा

रहे थे। इस पर पापलट प्रोजेक्ट बनाकर काम शुरू किया गया। अब रिपोर्ट आई है कि कॉरिडोर की योजना 5! की 230. 54 हेक्टेयर में से 228.25 और योजना 66 की 68.39 मैं से 66.34 हैक्टेयर का.

किसानों से करार हो गया है। सभी को रजिस्ट्री कर कबजा भी दे दिया गया है। दोनों योजनाओं में महज दो-दो हेक्टेयर जमीन बची है, जिसके लिए किसानों से अंतिम चरण की चर्चा चल रही है।


खुला विकास का रास्ता


जमीन के बदले आइडीए ने किसानों को विकसित प्लॉट देने की योज़ना बनाई। इसमें पसंद के प्लॉट को लेकर विवाद हुआ। किसान चाहते थे कि जमीन पर ही या पास में प्लॉट मिलें। शुरू में आइडीए ने

अपनी मर्जी से प्लॉट दिए, जिस पर बात बिगड़ गई। इसे सुधारकर कॉरिडोर पर ही शिविर लगाए गए। समाधान केंद्र व रीजनल ऑफिस खोला, जिससे किसानों को चक्कर काटने से मुक्ति मिली। कोर्ट

कैसों में मजबूती से पक्ष रखा, जिसमें सफलता मिली।


दूसरे चरण का शुरू होगा काम


सुपर कॉरिडोर की बची दो योजनाएं 69 ए और बी को लेकर आइडीए अब मोर्चा संभाल रहा है। ए की 68.74 हेक्टेयर में से ८८ फीसदी तो बी की 48.55 हेक्टेयर में से 76 फीसदी जमीन मिल गई है।

बची हुई जमीनों को लेकर कौरिडोर पर शिविर लगाया जाएगा। किसानों को बुलाकर मौके पर समस्या हल की जाएगी।





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