प्रीमियम बढ़ने से 10% पॉलिसीधारकों ने रिन्यू नहीं कराया हेल्थ इंश्योरें

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 नई दिल्ली. हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ने से कई पॉलिसीधारकों को अपना बीमा बंद करना पड़ रहा है या फिर कम कवर वाला प्लान लेना पड़ रहा है। इस साल 10 में से एक व्यक्ति ने अपना हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू ही नहीं कराया। लगभग 10% लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम इस साल 30% या इससे भी ज्यादा बढ़ गया है। इनमें से सिर्फ आधे लोगों ने ही पूरा प्रीमियम भरा। बीमा कंपनियों का कहना है कि क्लेम रेश्यो बिगड़ने की वजह से प्रीमियम बढ़ा है। क्लेम रेश्यो यानी जितना प्रीमियम मिला, उसमें कितने का क्लेम किया गया

बीमा प्रीमियम राशि बढ़ने की ये वजह...


कुछ लोगों के प्रीमियम में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई, क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम हर साल एक जैसा नहीं बढ़ता। यह कुछ अंतराल पर अचानक बढ़ता है। बीमा कंपनियां हर तीन साल में मेडिकल महंगाई के हिसाब से अपने रेट बदलती हैं। मेडिकल महंगाई मतलब इलाज का खर्च बढ़ना। उम्र बढ़ने के साथ भी प्रीमियम बढ़ता है। बुजुर्ग लोगों के इलाज का खर्च ज्यादा होता है, इसलिए उनके प्रीमियम में


कितना बढ़ा प्रीमियम पिछले 10 साल में 52% पॉलिसीहोल्डर्स के


प्रीमियम में सालाना 5-10% की तेजी रही। इसका मतलब है कि अगर किसी का प्रीमियम 100 रुपये था तो 10 साल बाद वह 162-259 रुपये हो गया। 38% पॉलिसीहोल्डर्स की सालाना बढ़ोतरी 10-15% रही। यानी उनका 100 रुपये वाला प्रीमियम 259-404 रुपये हो गया। लेकिन 3% लोगों का प्रीमियम सालाना 15-30% की स्पीड से बढ़ा, जिससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ गया है।


लोग पैसे बचाने के लिए डिडक्टिबल का विकल्प भी चुन रहे हैं। डिडक्टिबल का मतलब है कि एक निश्चित रकम तक का खर्च आपको खुद उठाना होगा, उसके बाद ही बीमा कंपनी भुगतान करेगी। कई लोग सस्ते प्लान्स की ओर शिफ्ट हो रहे हैं या फिर कम


कवरेज वाले विकल्प चुन रहे हैं। मेडिकल महंगाई और नई तकनीक के अलावा बीमा का दायरा बढ़ रहा है, जिससे प्रीमियम पर असर पड़ा। पॉलिसीबाजार के सर्वे के मुताबिक, स्वास्थ्य बीमा कंपनियों का प्रीमियम कलेक्शन चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 10% कम हो गया है


रिन्यूवल घटने के ये भी कारण एक्सपर्ट्स का कहना है हेल्थ

इंश्योरेंस का रिन्यूवल घटने का कारण सिर्फ प्रीमियम में बढ़ोतरी नहीं, बल्कि क्लेम खारिज होना भी है। एक रिपोर्ट के मुताबित, हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने पिछले 3 साल में करीब 50% हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को पूरी तरह या आशिक तौर पर खारिज किया है। इससे बाद ग्राहकों के मन में बीमा कंपनियों को लेकर संशय पैदा हुआ है कि महंगी पॉलिसी खरीदने के बावजूद जरूरत पर कंपनियां क्लेम खारिज कर देती हैं तो फिर बीमा का क्या फायदा?

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