भारतीय बाजारों पर भारी पड़ी ट्रंप की नई टैरिफ योजना

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डालर के मुकाबले 19 पैसे गिरी भारतीय मुद्रा

शेयर बाजार की मौजूदा गिरावटों के दौर के लिए विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) द्वारा भारत से पैसे निकालने को दिया जा रहा है। इसका असर शुक्रवार को मुद्रा बाजार पर कुछ ज्यादा ही दिखा। डालर के मुकाबले रुपया 19 पैसे कमजोर होकर 87.37 के स्तर पर बंद हुआ। अमेरिका की नई सरकार की तरफ से कई देशों पर पारस्परिक शुल्क (जितना शुल्क दूसरे देश अमेरिकी उत्पादों पर लगाएंगे, अमेरिका भी इन देशों के आयात पर उतना ही लगाएगा) लगाने की नीति को लेकर भविष्य में डालर को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। वैसे रुपये को स्थिर करने में आरबीआइ की तरफ से

मुद्रा बाजार में ज्यादा सक्रिय होने के भी संकेत हैं, लेकिन स्थिति पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि इससे बात बनने वाली नहीं है। डालर की कीमत की अनिश्चितता को देखते हुए आयातको ने डालर जमा करना भी शुरू कर दिया है। रुपये की लगातार कमजोरी देश की इकोनमी की चुनौतियां बढ़ा सकती हैं। इससे ₹ तेल आयात करना महंगा होता जा रहा है। भारत बड़े पैमाने पर उद्योग जगत के लिए कच्चे माल का आयात करता है जो महंगा हो रहा है। इससे घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने का खतरा है, इसकी तरफ विश्व बैंक ने शुक्रवार को भारतीय इकोनमी पर जारी एक रिपोर्ट में संकेत दिया है।


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